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Tuesday 28 June, 2011

एक वामपंथी और एक राष्‍ट्रवादी के बीच फेसबुक पर शब्‍द-युद्ध

मित्र पंकज झा 'फेसबुक' पर अपने विचारों से रौशनी बिखेरते रहते हैं और यदा-कदा अपने सवालों से जन-चेतना को झकझोरते रहते हैं। गत शुक्रवार को उन्‍होंने वहां एक सवाल रखा।

इस सवाल को लेकर कई टिप्‍पणियां आईं। लेकिन यहां समर 'अनार्य' और मेरे बीच लंबी बहस हुई। पहले परिचय जान लें :

पंकज झा। माखनलाल पत्रकारिता विश्‍वविद्यालय से एमए। राजनीतिक टिप्‍पणीकार।

समर 'अनार्य'। नक्‍सलवादी-मार्क्‍सवादी कार्यकर्ता। जवाहरलाल नेहरू विश्‍वविद्यालय में रिसर्च स्‍कॉलर।

संजीव सिन्‍हा। रा.स्‍व.संघ का स्‍वयंसेवक। गुरू जंभेश्‍वर विश्‍वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए।

आपसे निवेदन है कि इस बहस को पढ़ें :

पंकज झा का सवाल ये रहा :

Pankaj Jha ....गोरी, गजनबी, बाबर, तैमूर, नादिरशाह, चंगेज खां, फिरंगी, डच, पुर्तगाली, फ्रांसीसी और कांग्रेसी इन सबमें सबसे बड़ा लुटेरा कौन ???

Samar Anarya पंकज जी-- बाबर को इस सूची में (आपकी राजनीतिक विवशता समझता हूँ फिर भी सच कहने की बुरी आदत है सो है) न ही शामिल किया जाय. बाबर हिन्दुस्तान में 'बसने' आया था, उसकी पीढियां यही रहीं, यहीं की मिट्टी में दफ़न हुईं. उनका बनाया खजाना भी यहीं रहा न कि किसी स्विस बैंक के किसी छिपे हुए अकाउंट में. उनकी, और उनकी पीढ़ियों के, बनाये रिश्ते, महल, किले, सब कुछ यहीं है. अब उनकी तुलना इन लोगों से, जरा ठीक नहीं lagtee..

Samar Anarya आगे, इस सूची में कारगिल शहीदों के ताबूत घोटाले वाली, होटल सेंटूर वाली, पेट्रोल पम्प घोटाले वाली, बंगारू लक्ष्मण वाली, येदुरप्पा वाली, सीमेंट घोटाले वाली भाजपा को भी शामिल कर लें, यह आग्रह रहेगा.. बेशक कोंग्रेस शायद फिर भी बड़ी साबित हो, पर वह तो हर मामले में भाजपा से आगे ही रही है, साम्प्रदायिक नरसंहारों तक.. २००२ गुजरात १९८४ दिल्ली से बहुत पीछे थोड़े ही hoga..

Sanjeev Kumar Sinha लगता है समर नाम के प्राणी के आंखों पर लाल चश्‍मा लगा है। इसलिए भ्रष्‍ट हो रहे लाल खून का रंग पहचाने में उन्‍हें दिक्‍कत हो रही है।

(1) ज्योति बसु के बेटे चंदन बसु की अकूत संपत्ति का राज क्‍या है। आज कोलकाता में कितनी ही बेशकीमती इमारतें खड़ी हैं जिनको बसु परिवार के स्वामित्व वाला माना जाता है।

(2) सरकारी उपक्रम बंगाल लैम्प से बल्ब लेकर विभिन्‍न सरकारी विभागों में आपूर्ति का ठेका चंदन बसु को मिला। उन्होंने न तो बंगाल लैम्प की २५-३० करोड़ की उधारी चुकाई, न ही सरकारी विभागों को आपूर्ति ही की। बाद में उन्होंने बिस्किट फैक्टरी डाली।

(3) केरल माकपा सचिव विजयन ने वर्ष 1997 में उन्होंने एक कनाडियाई कंपनी को ठेका देने के एवज में पैसे लिए थे।

(4) माकपा मुखपत्र देशाभिमानी पर एक फरार लाटरी माफिया सांतियागो मार्टिन से करोड़ों रुपए लेने का खुलासा हुआ था।

(5) केरल के कम्युनिस्ट नेताओं ने शराब माफिया से धन लिया। कुछ दिनों पहले कोलम और तिरुअनंतपुरम् में शराब से हुई मौतों के बारे में जांच कर रहे न्यायमूर्ति वी.पी. मोहनकुमार आयोग ने तीन प्रमुख कम्युनिस्ट नेताओं को इस कांड में आरोपी पाया। जांच आयोग की रपट के अनुसार इन तीनों ने शराब व्यापारी मणिकन से भारी मात्रा में धन लेकर उसे लाभ पहुंचाया।

(6) माकपा सांसद नीलोत्‍पल बसु के एनजीओ 'ग्रामीण संचार सोसाइटी (ग्रासो)' ने करोडों रूपए के घोटाले को अंजाम दिए हैं।

(7) साल्टलेक का जमीन आबंटन के घोटाले को कौन भूल सकता है।

(8) पश्चिम बंगाल में अनाज घोटाले ने कॉमरेडों की पोल खोल दी।

9) वक्फ घोटाला ने कॉमरेडों के अल्पसंख्‍यक हितैषी होने के झूठ को उजागर कर दिया, जिसमें लगभग १६०० करोड़ रुपए की संपत्ति का हेरफेर था।

(10) पीएल एकाउंट घोटाला लगभग आठ सौ करोड़ का माना जाता है।

(11) हाल का नरेगा मस्टर रोल घोटाला के बारे में आप क्‍या कहेंगे।

(11) केजीबी से कम्‍युनिस्‍टों ने पैसे खाए।

(12) पश्चिम बंगाल में तीन दशक से सत्ता पर काबिज वामदलों का कैडर तो भ्रष्टाचार का जैसे पर्याय बन चुका था। वहां माकपा और भाकपा कैडर को राशनकार्ड से लेकर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए घूस खिलाने के आरोप लगे हैं। वामदलों के कैडर ने भ्रष्टाचार को संस्थागत रूप दे रखा था। यही कारण है कि आम लोगों ने वामदलों के आतंक से तंग आकर जमीनी स्तर पर किसानों और गरीबों की लड़ाई लड़ने वाली तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी को वोट दिया।

Samar Anarya Pankaj भाई.. देखिये, मेरी कही बात फिर से सही साबित हो रही है.. आप जैसे भले संघी, जिनसे बातचीत की संभावना एक सार्थक काम लगता हो कितने कम हैं.. संजीव कुमार सिन्हा जैसे ही लोग ज्यादा मिलते हैं..

Sanjeev Kumar Sinha मेरी आशंका सही साबित हुई। समर 'लालू' ही निकला। पंकज ये बताओ जरा कि ये पढा लिखा भी है कि नहीं। इसके इतिहासबोध पर तरस ही खाया जा सकता है। 'बाबर भारत में बसने नहीं आया था कॉमरेड, वह भारत को लूटने आया था।'

Samar Anarya @संजीव कुमार सिन्हा साहब.. बिलकुल ठीक पहचाना आपने.. समर नाम के इस प्राणी की आँखों पर खांटी लाल चश्मा चढ़ा है.. (और जानते ही होंगे की लाल रंग हमेशा भगवा से गाढ़ा होता है).. बाकी मैं कोई भी प्राणी सही आपको इंसान मानता हूँ..(सबको ही मानता हूँ).. आपसे अलग हूँ ना अभी यह चेतना गयी नहीं

Sanjeev Kumar Sinha सही बात है कि लाल रंग हमेशा भगवा से गाढ़ा होता है। लेकिन ये भूल गए कि काला रंग लाल से भी गाढ़ा होता है। लाल की बजाए काली पट्टी आंखों पर बांध लो तो अच्‍छा रहेगा।

Samar Anarya @आगे, संजीव जी.. आपके बताये ये सारे घोटाले सही भी हों तो कारगिल के शहीदों के ताबूत बेच कर पैसा खा जाने से कम ही गलीज हरकत हैं के नहीं?

और उसके बाद आप के बताये इन सारे घोटालों की रकम जोड़ कर भी केवल और केवल पेट्रोल पम्प घोटाले (राम नाईक का नाम याद है?) से कम ही होगी..

Sanjeev Kumar Sinha दूसरी बात कि जॉर्ज फर्नांडिस देश के ईमानदार नेता है। उस पर थूकना चांद पर थूकने के बराबर है। हश्र मालूम होगा कि इससे क्‍या फायदा होगा। यहां भी सामान्‍य ज्ञान के बारे में तुम्‍हारी हालत पतली है। सीबीआई ने कथित ताबूत घोटाले मामले में जॉर्ज को क्‍लीन चिट दे दी थी।

Samar Anarya Pankaj भाई.. बाबासाहेब की एक प्रसिद्द उक्ति याद आ गयी-- मैं पैदा हिन्दू जरूर हुआ था पर मरूँगा नहीं..

अब मैं ठहरा घनघोर नास्तिक, जो हिन्दू ही नहीं है तो संघी क्या होगा? आगे, बचपन में एक छोटे से कसबे में खेलने की और जगहों की अनुपस्तिथि में 'शाखा' जाने की मजबूरी को समझदारी की पहली सीढ़ी पर कदम रखते ही दुरुस्त कर लिया था.. अब तो संघ की कुत्सित मानसिकता को (संघियों को नहीं, वह तो अपने ही भटके हुए लोग हैं) ख़त्म करना ही ध्येय भी है लक्ष्य भी

Sanjeev Kumar Sinha ये तुमने कौन से हिंदू धर्मग्रंथों में पढ़ लिया कि नास्तिक हो जाने पर हिंदू नहीं हो सकता। यहां भी तुम्‍हारी जानकारी पर तरस आता है। हिंदू धर्म के अधिकांश दर्शन नास्तिक दर्शन ही है।

Sanjeev Kumar Sinha बाबा साहब ने कहा कि 'मैं पैदा हिन्दू जरूर हुआ था पर मरूँगा नहीं..' ठीक बात है। परन्‍तु सब जानते हैं कि उनका निधन हिंदू के नाते ही हुआ। बुद्ध भी हिंदू धर्म में भगवान माने जाते हैं और बौद्ध भी हिंदू धर्म का अभिन्‍न हिस्‍सा है। लेकिन यह भी बात याद रखो कि तुम्‍हारे बड़े बड़े कॉमरेड उन्‍हें 'लालू' न बना सके। मौलवी उन्‍हें मुसलमान न बना सके और कथित म‍शिनरी उन्‍हें ईसाई न बना सके। प्रखर राष्‍ट्रवादी बाबा साहब की जय।

Samar Anarya संजीव कुमार सिन्हा-- अच्छा हुआ जो अपने असली वाले स्तर पर उतर आये भाई.. हम लालू सही तुम तो 'रामू काका' भी नहीं मालूम हो पाए ठीक से.. काफी अनपढ़ और जाहिल किस्म के मालूम पड़ते हो भाई.. थोडा पढ़ लिख लेते, पर छोडो यार, तुम जैसों को किताबों से क्या काम?

Sanjeev Kumar Sinha लालू कहने पर भौं भौं क्‍यों कर रहो हो। तुम्‍हीं ने तो कहा था तुम्‍हारे आंखों पर लाल चश्‍मा चढ़ा है। वैसे सच में मेरा किताबों से क्‍या काम। मैं तो लाल खटमल मारने की दवा बेचता हूं।

Samar Anarya दूसरी बात, की जार्ज फर्नान्डीज़ ईमानदार हैं की नहीं तुम्ही तय करोगे? ईमानदारी का सर्टिफिकेट बांटने वाले क्लर्क हो क्या रामू काका? और उसको भी घूस ले के बनाते हो क्या?

Sanjeev Kumar Sinha भारतीय राजनीति में जॉर्ज फर्नांडिस एक उम्‍मीद का नाम है, जिसने आपातकाल के दिनों में कांग्रेस और वामपंथियों के गठजोड़, जिसने जनता पर जमकर अत्‍याचार किया, को ध्‍वस्‍त कर दिया। इसलिए जॉर्ज का नाम सुनते ही कॉमरेड सांड की तरह भड़कते हैं, हमें मालूम है।

Samar Anarya और घूस ले कर ईमानदारी का सर्टिफिकेट बनाते ही हो तो लगे हाथ एक येदुरप्पा के लिए भी बना देते, क्या पता एकाध सर्वेंट क्वार्टर ही मिल जाता tumhe..

Samar Anarya नास्तिक होने पर हिन्दू नहीं हो सकता अपनी यह मैंने तो कहीं पढ़ा हो पर जरा ग्रंथों में जरा भी गति हो तो नास्तिक दर्शनों का नाम भी बता देते. सांख्य, वैशेषिक आदि अदि.. और फिर यह की वेदान्त के अलावा और कौन कौन से दर्शन हिंदूओ में प्रचलित हैं? पर फिर वही, तुम जैसे अनपढ़ जाहिलों को तर्कों से क्या काम?

Sanjeev Kumar Sinha सच में तुम्‍हें मालूम नहीं था कि हिंदू धर्म में नास्तिकों भी जगह है। सच सच बोलो, मैंने ज्ञान दिया तो गूगल से जानकारी लेकर यहां टीप दिए हो न। अन्‍यथा तुम यह नहीं कहते कि 'अब मैं ठहरा घनघोर नास्तिक, जो हिन्दू ही नहीं है'

Samar Anarya जरा बाबा साहब को पढ़ लेते यार, दीक्षाभूमि में बाबा साहब ने 'धर्म परिवर्तन' किया था.. फिर विश्व में तो छोडो भारत में धर्मों की सूची देख लेते.. बौद्ध धर्म हिन्दू धर्म का हिस्सा नहीं है.. इतनी सी बात जान पाते.. बाकी यह तो तुम हिन्दुओं की आदत ही रही है जिसने चुनौती दी और 'डंडा' कर दिया उसको तुमने भगवान् घोषित कर दिया.. विष्णु का अवतार बना दिया.. एक सलाह है, हिन्दुस्तान के बाहर (कभी गलती से) जा पाओ तो यह कह भी मत देना नहीं तो बौद्ध बहुत मारेंगे.. और फिर दूतावास ही बचाएगा.. वह भी डिपोर्ट karke..

Sanjeev Kumar Sinha बाबा साहब ने भारत की माटी से उपजे दर्शन को ही स्‍वीकार किया था न कि पश्चिम से आयातित विचारधारा और धर्म को। और यह तो जानते ही हो कि हिंदू धर्म ने बुद्ध को भगवान का अवतार बताया है।

Samar Anarya आखिर में, मेरी आँख में लाल पत्ती ही ठीक है, तुम भाई भगवे से खुश रहो.. हाँ अगर चाहो तो काले रंग की एक लंगोट सिला लो, नजर नहीं लगेगी..

Sanjeev Kumar Sinha और अंत में समर, लंगोट काले रंग का हो चलेगा लेकिन आंखों पर काली पट्टी हो तो धड़ाम से गिर पड़ोगे।

Samar Anarya बहुत हुआं हुआं कर लेते हो यार संजीव..लेकिन याद है न उस हुआं हुआं करने वाले प्राणी (बोले तो तुम) की कहानी जिसने एक बार दहाड़ने की कोशिश की थी?

झूठे हुआं हुआं मत करो यार.. सबसे पहले तुम्ही बन्दर की तरह लंका में कूदे थे Pankaj भाई को बताते हुए की इस प्राणी की आँखों पर लाल चश्मा चढ़ा हुआ है..वैसे संभव है की भूल गए हो, तुम जैसे लोग २४ घंटे से ज्यादा कुछ याद रखें भी कैसे.. रटने की भी सीमाँ होती है..

Sanjeev Kumar Sinha हम तो हनुमान जी के सेवक हैं तो बन्‍दर की तरह लंका में कूदेंगे ही। और अन्‍याय, अनीति और अनाचार के प्रतीक कमीनिस्‍टों को जला देंगे, मिटा देंगे।

Samar Anarya रही बात तुम जैसे बेवकूफों से ज्ञान लेने की तो इस पर तो हंस भी नहीं सकता.. खैर, हे गूगल के दुलारे, विकिपीडिया के मारे बेचारे, यह लिंक देख लेना आर इस पर हुई बहस भी..३ मार्च २०११(दिन गिन पाओ तो आज से कम से कम ३ महीने पहले की नास्तिकता पर बहस है मेरी यह)

http://mohallalive.com/2011/03/03/census-and-social-bias/comment-page-2/

Sanjeev Kumar Sinha 'प्रत्यक्षं किम् प्रमाणम।' कहीं और खंगालने क्‍यों जाऊं। यहां तुम रंगे हाथों पकड़े गए हो और अब उससे मुकर नहीं सकते कि 'अब मैं ठहरा घनघोर नास्तिक, जो हिन्दू ही नहीं है'

Samar Anarya आँखे खुली कुछ की अभी भी गूगल पर छुछुआ रहे हो?

Sanjeev Kumar Sinha हम काहे छुछुआएं जी, तुम्‍हीं छिछिआओ।

Samar Anarya और रही बात जार्ज फर्नान्दिज़ की, तो तुम्हारे ऊपर ठीक से तरस भी नहीं खा सकता.. लगाये रहो उनसे उम्मीद..दो चुनाव से तो पा ही रहे हो.. तीसरा भी आ ही रहा है..

Sanjeev Kumar Sinha ठीक है हम दो चुनाव से पानी पी रहे हैं लेकिन जनता ने अभी भी हमें 9 राज्‍यों में शासन करने का दायित्‍व सौंपा हुआ है। और भाई कॉमरेड, तुम्‍हारा हाल क्‍या है। तीन राज्‍य में ही सिमटे रहे हो और इस बार तो दो से भी निपटा दिए गए। कॉमरेड होते तो इस तरह के तर्क नहीं गढ़ते। वास्‍तव में तुम मार्क्‍सवाद का लबादा ओढ़े छुपे कांग्रेसी हो।

Samar Anarya और यार झूठ बोलते हुए शर्म नहीं आती? बाबा साहब ने 'धर्म परिवर्तन' किया था या नहीं, यह पूछा था मैंने.. अब भारत की माटी और विदेश की माटी पर काहे उतर आ रहे हो? फिर से, अगर कभी भारत के बाहर जाने का मौका मिले (मुश्किल लगता है तुम्हारे लिए नेपाल और भूटान छोड़कर पर फिर भी)..गलती से बौद्ध धर्म को हिन्दू धर्म का हिस्सा मत बोल देना.. बहुत pitoge

Sanjeev Kumar Sinha पहले संविधान का अध्‍ययन करो मित्र। संविधान की धारा २५ में स्पष्ट कहा गया है कि जैन और बौद्ध धर्म हिंदू धर्म का अंग हैं। संविधान विरोधी बातें कहने से बाज आओ वरना जानते ही हो भारतीय पुलिस थर्ड डिग्री का प्रयोग में माहिर है।

Samar Anarya और बड़े अनपढ़ मालूम पड़ते हो यार, तुम जैसों की आँखे वहीं होती हैं जहाँ लंगोट बंधता है.. संभल कर चलना.. नहीं ऑंखें और वह दोनों बंद हो गया तो गूगल से देख देख ज्ञान कहाँ से doge?

Sanjeev Kumar Sinha काले लंगोट बांधने से स्‍वस्‍थ रहोगे और आंखों पर पट्टी बांध ली तो विकलांग हो जाओगे। समझे डियर।

Samar Anarya अमे संजीव कुमार सिन्हा.. तुम केवल हनुमान जी के सेवक ही नहीं बुद्धि से भी बन्दर ही हो में.. और चाहे जिस के प्रातीक कम्युनिस्टों को जला देने, मिटा देने की तुम्हारी ख्वाहिश भी उतनी ही पुराणी है जितनी हनुमान की पूंछ में लगी आग.. तो फरफरा लो में// होगा कुछ नहीं usse

Sanjeev Kumar Sinha कम्‍युनिस्‍टों को हम आज भी मिटा रहे हैं मित्र, मध्‍यप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात आदि प्रदेशों में कोई है कम्‍युनिज्‍म का नामलेवा। राष्‍ट्रवादी ताकतों की अगुवाई में जनता ने कमीनिस्‍टों को दफन कर दिया है। हम तो दनदना रहे हैं, फरफरा तुम रहे हो, अंतिम लौ की तरह, बस अब बुझने ही वाले हो।

Samar Anarya बुरबके हो का में संजीव कुमार सिन्हा.. खैर समझ आ रहा है.. तुम्हारा नहीं तुम्हारी .. का कसूर है.. जिन्दगी भर मुंशीगिरी किये.. मौलिक कुछ सोचे नहीं..तो अब ही तुमसे क्या UMMED..

Samar Anarya और में बेवकूफ शिरोमणि.सिन्हा जरा संविधान की धारा 25 काअध्ययन भी कर लेते.. कोई संघी बौद्धिक में बताया और तुम कूद पड़े बानरोचित गुण के प्रदर्शन में.. (खैर गलती तुम्हारी अही तुम्हारी .... की है.. आज तक तय ही नहीं कर पाए हो की हो कहाँ.. तो..

Samar Anarya ई लो.. पढ़ लो धारा२५-- 25. Freedom of conscience and free profession, practice and propagation of religion

(1) Subject to public order, morality and health and to the other provisions of this Part, all persons are equally entitled to freedom of conscience and the right freely to profess, practise and propagate religion

(2) Nothing in this article shall affect the operation of any existing law or prevent the State from making any law

(a) regulating or restricting any economic, financial, political or other secular activity which may be associated with religious practice;

(b) providing for social welfare and reform or the throwing open of Hindu religious institutions of a public character to all classes and sections of Hindus Explanation I The wearing and carrying of kirpans shall be deemed to be included in the profession of the Sikh religion Explanation II In sub clause (b) of clause reference to Hindus shall be construed as including a reference to persons professing the Sikh, Jaina or Buddhist religion, and the reference to Hindu religious institutions shall be construed accordingly

Sanjeev Kumar Sinha कॉपी पेस्‍ट करने की बजाय जरा संविधान की धारा का हिंदी भावार्थ ठीक से समझ लेते तो तुम्‍हें गलतफहमी नहीं होती।

Samar Anarya अब बताओ में झूठे की कालज बी के तहत समाहित होने और तुम्हारे मुताबिक़ एक होने में फर्क है की नहीं.. बाकी मैं समझ सकता हूँ की गलती तुम्हारी नहीं तुम्हारी .... की है.. समझदारी की ही कमी है तुम्ही.. लिखना सीखे पढना नहीं.. मुंशी ही ठहरे ना बाभनों के दलाल तुम..

Sanjeev Kumar Sinha मित्र, हमारी विचारधारा राष्‍ट्रवादी विचारधारा है। जो क्षेत्रवाद, पंथवाद, जातिवाद के संकीर्ण दायरों से मुक्‍त होकर रगों-रगों में राष्‍ट्रीयता का संचार करती है। बहस में तुम्‍हारी हार हो रही है तो तुम नीचता पर उतर आए हो। सही बोले कि 'मुंशी ही ठहरे ना बाभनों के दलाल तुम..'। मैं मुंशी किसी बाभन पंकज झा की दलाली नहीं कर रहा बस सच को सच बता रहा हूं तो तुम्‍हारी फट रही है। जातिगत आक्षेप यह साबित करता है कि मार्क्‍सवाद की सड़ांध ने तुम्‍हारे दिमाग को प्रदूषित कर दिया है।

Samar Anarya नास्तिकता पे बात ही न करो में.. औकात समझ आ गयी तुम्हे अपनी तो भाग रहे हो.. छिछिआओ में..

Samar Anarya और बाकी सिन्हा जी.. कितना समझाया की लंगोट वहाँ नहीं आपनी आँखों में बाँध लो.. भगवा हो या काला.. मदद करेगा.. ना नजर लगेगी ना बेवकूफी की उल्टी करोगे भाई.. डाक्टर तुम्हारी मदद करें.. या फिर कुछ आयुर्वेदिक ही कर लो..

Samar Anarya वहम की दावा का ईलाज तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं था संजीव बाबू.. आप ही कैसे ठीक हो पायेंगे?

Sanjeev Kumar Sinha और अंत में, तुम्‍हारी बीमारी को मैंने पहचान लिया है। तुमको पिछवाड़े में नहीं, मुंह में बवासीर हो गया है।

Samar Anarya आगे, कम्युनिस्टों को मिटाने की ख्वाहिश लिए आपके पुरखन की कई पीढियां निपट गयीं.. और उनके राहुल महाजन जैसे सपूतों ने उनके अस्थि-कलश के साथ कोकीन सेवन किया.. दर्द तो होगा ही..

Sanjeev Kumar Sinha बार-बार कह रहा हूं कि इतिहास की जानकारी रखो। 1920 में कम्‍युनिस्‍ट पार्टी का काम भारत में शुरू हुआ और 1925 में राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ की स्‍थापना हुई। कम्‍युनिस्‍ट पार्टी उस समय वैश्विक स्‍तर पर चमक रही थी और संघ की शुरूआत नागपुर की गलियों से हो रही थी। इतिहास गवाह है कि सामाजिक और राजनैतिक स्‍तर पर भारत में वामपंथ कहां है और राष्‍ट्रवाद कहां। संघ का एक स्‍वयंसेवक लालकिला की प्राचीर से राष्‍ट्रध्‍वज को लहरा चुका है और तुम केवल नारों में ही गाते रहो हो लालकिला पर कब्‍जा करेंगे। वामपंथ लगातार मिटता जा रहा है तो संघ तमाम अवरोधों को चिरता हुआ लगातार बढ़ता जा रहा है।

Samar Anarya आगे, गलत भावार्थ समझने-समझानी की पुराणी बीमारी है तुम संघियों को, समझता हूँ, बदलने तक की कोशिश कर डाली, हुआ नहीं तो बिलबिला भी रहे हो पिलपिला भी.. बिल्बिलाओ.. मेरी भरपूर सहानुभूति है..

Samar Anarya हाँ यह जान लो की संविधान मूलतः अंगरेजी में लिखा गया है, और किसी विवाद की दिशा में अंगरेजी वेर्जन ही प्रधान होता है.. ( आह तुम्हारा हिन्दी-हिन्दू राष्ट्रवाद!) और मियाँ, संविधानिक प्राविधानों को समझने के लिए उनका 'अर्थ' देखा जाता है.. भावार्थ नहीं.. खैर यह समझना समझाना तुम्हारे लिए इतना भी आसान kahan?

Sanjeev Kumar Sinha हिंदी-हिंदू-राष्‍ट्रवाद हमारे लिए नारा नहीं है। जीने-मरने का मंत्र है। दुनिया जानती है कि कम्‍युनिस्‍टों ने राष्‍ट्रभाषा हिंदी का सदा विरोध किया है। इसलिए तुम्‍हारे हिंदी विरोध पर मुझे आश्‍चर्य नहीं हो रहा है। अपने आका की बात को ही तो दोहराओगे।

Samar Anarya हाँ, 'मित्र' शब्द के प्रयोग पर आप कुछ जरा जल्दी ही उतर आये सिन्हा साहब.. मुझे कोई ऐतराज नहीं की मैं कडवी और घटिया भाषा का इस्तेमाल कर रहा हूँ, लगातार (बावजूद इसके की मेरी आदत कभी नहीं रही यह).. पर जरा देख भी लें की शुरू किसने की थी??

Sanjeev Kumar Sinha मैं तुम्‍हें ऊपर पहले ही 'डियर' शब्‍द से संबोधित कर चुका हूं। इसलिए तुमको मैं अपना दुश्‍मन नहीं मानता।

Samar Anarya यह था आपका पहला कमेन्ट मेर एबारे में जब आप मुझे जानते ही नहीं the.. "लगता है समर नाम के प्राणी के आंखों पर लाल चश्‍मा लगा है। इसलिए भ्रष्‍ट हो रहे लाल खून का रंग पहचाने में उन्‍हें दिक्‍कत हो रही है।"

Sanjeev Kumar Sinha 'लगता है समर नाम के प्राणी के आंखों पर लाल चश्‍मा लगा है। इसलिए भ्रष्‍ट हो रहे लाल खून का रंग पहचाने में उन्‍हें दिक्‍कत हो रही है।' इसमें कौन सी आपत्तिजनक बात है, जरा बताना। क्‍या शानदार लाइन है मित्र।

Samar Anarya और यह था मेरा जवाब.. @संजीव कुमार सिन्हा साहब.. बिलकुल ठीक पहचाना आपने.. समर नाम के इस प्राणी की आँखों पर खांटी लाल चश्मा चढ़ा है.. (और जानते ही होंगे की लाल रंग हमेशा भगवा से गाढ़ा होता है).. बाकी मैं कोई भी प्राणी सही आपको इंसान मानता हूँ..(सबको ही मानता हूँ).. आपसे अलग हूँ ना अभी यह चेतना गयी नहीं

ध्यान दें की अभी भी मैं 'साहब' के साथ आपको 'आप' भी कह रहा हूँ...

Samar Anarya और उस पर आपका 'सिन्हा ज्सहब' जवाब यह रहा..

"@ मेरी आशंका सही साबित हुई। समर 'लालू' ही निकला। पंकज ये बताओ जरा कि ये पढा लिखा भी है कि नहीं। इसके इतिहासबोध पर तरस ही खाया जा सकता है। 'बाबर भारत में बसने नहीं आया था कॉमरेड, वह भारत को लूटने आया था।'

Sanjeev Kumar Sinha तुम्‍हारी बातचीत से तो यही लगता है कि तुम्‍हें इतिहास का ज्ञान नहीं है अन्‍यथा यह नहीं कहते कि बाबर ने भारत को नहीं लूटा।

Samar Anarya इसके बाद आप मुझसे उम्मीद क्या कर रहे थे?? की आप मेरे मित्र Pankaj झा की दीवाल पर उल्टी-दस्त करते रहें और मैं 'सभ्यता' की सीमाओं में bana rahun??

Samar Anarya एक जर्मन कहावत है.. सवाल जिस भाषा में पूछे जाएँ जवाब उसी में देना चाहिए, नहीं तो सामने वाले को कुछ समझ नहीं आता.. तो यह भाषा आपके लिए इस्तेमाल करनी पडी.. और अभी तब तक करता रहूँगा जब तक आप सुधर naa जाएँ..

Samar Anarya और सिन्हा साहब.. बवासीर मुझे मुंह में हुई है ठीक, आपका क्या करूँ की मुंह में और वहां दोनों जगह हो गयी.. जातिवादी आक्षेप आप हिन्दूवादियों को कब से बुरे लगने लगे मनुपुत्रों?? और अगर यह गाली लग ही रहे एही तो जिम्मेदार आपके 'मनु बाबा' हैं हम नहीं..

मैं तो सिर्फ वर्णाश्रम की बात कर रहा था आपकी कहाँ कहाँ फट पडी.. सिल गयी.. (रफू करा लें)..

Sanjeev Kumar Sinha मित्र, मुझे मत समझाओ। मैं सार्व‍जनिक जीवन में हूं। शब्‍द प्रयोग का बहुत ख्‍याल रखता हूं। और 'तुम' शब्‍द मित्र के लिए आत्‍मीय संबोधन है। जबकि तुम शुरू से ही गाली गलौज की भाषा पर उतरे हो, 'काफी अनपढ़ और जाहिल किस्म के मालूम पड़ते हो भाई' यही कहा था तुमने। फिर बाद में जाति को लेकर भी मुझे गाली दी, 'मुंशी ही ठहरे ना बाभनों के दलाल तुम'। जाकर चुल्‍ली भर पानी में डूब मरो।

Samar Anarya संघ बढ़ रहा है?? शताब्दी का सबसे बड़ा चुटकुला सुना रहे हैं क्या भाई साहब? इस पर तो ठीक से हंस भी नहीं सकता..

Sanjeev Kumar Sinha संघ बढ़ रहा है, यह चुटकुला नहीं है मित्र, अकाट्य सत्‍य है। अटक से कटक तक और कश्‍मीर से कन्‍याकुमारी तक, संघ का पताका लहरा रहा है। और वामपंथ....? यह दिनोंदिन गर्त में समा रहा है। और ठीक से हंसोगे कैसे ? मैंने कहा न कि तुम्‍हें मुंह का बवासीर हो गया है।

Samar Anarya हाँ, अब समझा.. बात ठीक है.. संघ बढ़ रहा है... उत्तर प्रदेश से खत्म होने के बाद अरब सागर की और बढ़ रहा है.. डूब मरने के लिए..

Sanjeev Kumar Sinha कौन उत्तर प्रदेश से खत्‍म हो गया है, मित्र। जरा लिखने से पहले सो‍च लिया करो। उत्तर प्रदेश के हर शहर में संघ की शाखाएं लग रही है। उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा की सीटें अर्द्धशतक से अधिक है। और वामपंथ की हाल क्‍या है? एकाध विधायक है। जनता ने जनविरोधी वामपंथ के जड़ में मट्ठा डाल दिया है।

Samar Anarya संजीव बाबू.. शब्दों से खेलना पुराणी आदत है संघियों की पर खैर.. यह 'प्राणी' क्या होता है? वह भी लाल चश्मे वाला? और उसके बाद भी मेरे 'संजीव साहब' वाले जवाब पर क्या कहा था आपने? की मैं 'लालू' हूँ और आप 'लाल खटमल' मारने वाले, यही न? काफी संसदीय भाषा थी..

Sanjeev Kumar Sinha सही कहा आपने, हम स्‍वयंसेवकों की पुरानी आदत है शब्‍दों से खेलना। इसमें भी हम पारंगत हैं। प्राणी क्‍या होता है, यह तुमको नहीं मालूम? किस विद्यालय में पढ़े हो मित्र, किताबों में यह नहीं पढ़ा था कि 'मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है'

Samar Anarya और उसी कमेन्ट में आपने पंकज जी से पूछा था की मैं जरा भी पढ़ा लिखा हूँ या नहीं-- इसी बात को अनपढ़ और जाहिल कहते हैं संजीव मियाँ.. जो मैंने इस पोस्ट के बाद इसके जवाब में लिखी..

Sanjeev Kumar Sinha क्‍या तर्क दिया है? जो अनपढ़ हैं वह जाहिल है। हां, तभी तो करोड़ों अनपढ़ भारतीय जनता को तुम जाहिल समझते रहे और उन्‍होंने तुमसे 'जाहिल' होने का ठीक से बदला ले लिया। देश भर में वामपंथ की कब्रें खोद दी।

Samar Anarya और हाँ, हिन्दी से भी हाथ तंग लगता है तुम्हारा भाई तो, 'तुम' मित्र के लिए आत्मीय संबोधन होता है, अपरिचितों के लिए नहीं! ख़ास तौर पर ऐसे अपरिचित के लिए जो आपको लगातार 'आप' या साहब कह रहा हो.. आपके 'लालू' और खटमल मार्का विशेषणों के बाद भी.. और तब भी आप न सुधरे तो याद है न, आप ही की भाषा में--

और जब

Samar Anarya विनय न मानत जलधि जड़ गए तीन दिन बीत

बोले राम सकोप तब भय बिन होय न preet!

Samar Anarya या संस्कृत में -शठे साठ्यम समाचरेत! तो तुम्हारी शाब्दिक दुष्टता रुकते न देख मैं और करता भी क्या, उतर आया उसी भाषा में जो तुम्हे समझ में आती सी दिख रही थी..

Samar Anarya और हाँ, हिन्दूवादियों को जाती का जिक्र गाली नहीं लग्न चाहिए 'सिन्हा' साहब.. वर्णाश्रम आपके पुरखे 'मनु' ने बनाया था हमने नहीं.. वही वर्णाश्रम जो आज भी जिन्दा है और अभी पुरी में दलित लड़कियों के मंदिर प्रवेश पर पूरे गाँव को सजा देता है,.. अब बताओ भाई..इन मनुवादियों की मुंशीगीरी करने वाले 'बाभनों के दलाल' हुए या नहीं? सत्य इतना कड़वा क्यों लगता है?

Samar Anarya वामपंथ के खिलाफ घटिया भाषा का प्रयोग करते हुए आप के मुखारविंद से दो शब्द न झाडे इस विषय पर.. दलाली ही है यह मियाँ.. तो भाई डूब तो तुम मरो.. चुल्लू भर पानी में न सही, गंगा में ही.. शायद कुछ पाप ही धुल जाएँ तुम्हारे!

Sanjeev Kumar Sinha रक्‍तपिपासु स्‍टालिन और माओ का उद्धरण देते तो चलता लेकिन तुम वामपंथियों को बाबा तुलसीदास और संस्‍कृत के श्‍लोक को उद्धृत करने का अधिकार नहीं है जो तुलसीदास को प्रतिगामी और पुरातनपंथी करार देते हैं और जिन्‍होंने जेएनयू में अरबी और उर्दू के पाठ्यक्रम को तो लागू किया लेकिन दशकों तक संस्‍कृत की पढ़ाई जेएनयू में नहीं होने दी। वो तो भला हो स्‍वयंसेवक डॉ. मुरली मनोहर जोशी का जिन्‍होंने देवभाषा की पढ़ाई जेएनयू में सुनिश्वित करवाई।

Samar Anarya सिन्हा साहब.. रात के अंधे को तो कोई मदद भी कर दे.. तुम्हारे जैसे दिन के अंधों का क्या करे.. बढाओ अपना संघ.. संघ का पताका कहाँ लहरा है बस हमें भी बता देना.. तुम्हारे ख्यालों को छोड़ कर..

Sanjeev Kumar Sinha तुमको रतौंधी हो गया है तो मैं कुछ नहीं कर सकता। सीधे डॉक्‍टर के पास जाओ और अपना ईलाज कराओ। किसी भी राजनीतिक विश्‍लेषक से जरा पूछ लो कि संघ के समानांतर देश में किसी संगठन का वजूद है क्‍या। औंधे मुंह गिरोगे।

Samar Anarya प्राणी तो बता दिए.. पर साम्क्जिक प्राणी में और फलाने नाम के प्राणी में फरक बताना भूल गए मुंशी जी.. क्यों bhaai?

Sanjeev Kumar Sinha मैंने तो बस तुमको प्राणी ही कहा था। अब यह तुम्‍हारे ऊपर है कि अपने को सामाजिक प्राणी मानते हो या फिर असामाजिक प्राणी।

Samar Anarya मैंने तर्क नहीं दिया था अनपढ़ों के जाहिल होने का मियां, तुमने पूछा था मेरे बारे में पंकज भाई से की मैं 'अनपढ़' हूँ या नहीं.. मैंने तो बस तुम्हारे शब्द अलंकारों के साथ तुम को लौटा दिया था बस..खैर तुम जैसे झूठों का तो कोई करे भी क्या.. प्राणी याद रहा.. लालू भूओल गए.. लाल खटमल मार दावा भूल गए.. अभी तक किसी सही कम्युनिस्ट से पाला पड़ा नहीं था लग रहा है..

Sanjeev Kumar Sinha तुमने कहा था, 'तुम जैसों को किताबों से क्या काम?' तो मैंने साफ शब्‍दों में कहा कि हां भई, मैं तो लाल खटमल मारने की दवा बेचता हूं। यह सुनकर इतना बौखला क्‍यों रहे हो ?

Sanjeev Kumar Sinha 'लालू' कह दिया तो इतना काहे नाक-भौं सिकोड़ रहे हो। लाल सलाम का नारा तुम लगाते हो। लाल पैजामा तुम पहनते हो और लाल झोला लेकर तुम चलते हो। और फिर तुमने स्‍वीकार भी किया था, 'समर नाम के इस प्राणी की आँखों पर खांटी लाल चश्मा चढ़ा है'..तो भई, लालू हुए कि नहीं।

Samar Anarya जरा सी भी ईमानदारी हो तो इस बातचीत में अपनी पहली कमेन्ट, मेरा जवाब, उसका अपना जवाब और अपनी भाषा देख लो.. या किसी निष्पक्ष आदमी की राय ले लो.. सब साफ़ हो जायेगा.. हाँ अगर सहने की हिम्मत न हो तो दूसरों के खिलाफ ऐसी भाषा का प्रयोग ही न करो भाई.. एक बात और, गलती मानने से आदमी बड़ा होता है, छोटा नहीं.. मान लोगे की अभद्र और असंसदीय भाषा का प्रयोग तुमने शुरू किया था तो कद बढेगा ही तुम्हारा.. और फिर अपनी तो आदत है जो जिस भाषा में पूछे उसी में जवाब देने की..

Sanjeev Kumar Sinha अभद्र भाषा मैं बोल रहा हूं। हा हा हा..। यह किसकी उक्ति है मित्र, ' तुम जैसे अनपढ़ जाहिलों को तर्कों से क्या काम?' 'हिन्दुस्तान के बाहर (कभी गलती से) जा पाओ तो यह कह भी मत देना नहीं तो बौद्ध बहुत मारेंगे.. और फिर दूतावास ही बचाएगा.. वह भी डिपोर्ट karke..' ' मुंशी ही ठहरे ना बाभनों के दलाल तुम..' वाह क्‍या बात है, चलनी दूसे सूप के जवना में बहत्तर छेद।

Samar Anarya और हम क्या उद्धृत करेंगे क्या नहीं तुम्ही तय करोगे सिन्हा साहब? आभी भी 'राम राज्य में जी रहे हो क्या की शम्बूकों को कुछ नहीं बोलने दोगे? गलतफहमी से बाहर आओ भाई.. हमारा तो जो मन होगा उद्धृत करेंगे..

Sanjeev Kumar Sinha तुम्‍हारा जो मन होगा वह तुम कैसे उद्धृत कर दोगे। बाबा तुलसी को तुम पुरातनपंथी और प्रतिगामी बताओगे और उनके दोहे का अपने पक्ष में बौद्धिक प्रयोग भी करोगे, यह नहीं चलेगा, मित्र। यह तो बौद्धिक बेईमानी है। मैंने ऊपर कहा न कि तुम रक्‍तपिपासु स्‍टालिन और माओ का ही उद्धरण दिया करो।

Samar Anarya अरे भाई भग्गू प्रसाद (भगवा से व्यतिपुत्त शब्द) तुम्हारे 'लालू' शब्द प्रयोग से मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई थी, न है.. मैं तो बार बार तुम्हे बस यही बता रहा था की तुम्हारे इस शब्द के बाद मैं भी तुम्हारी भाषा में बात करने लगा..तो अब रुदाली काहे गा रहे हो? इसका भी पैसा मिलता है क्या तुम्हे?

Sanjeev Kumar Sinha हां मित्र, राष्‍ट्रवादी विचारधारा के प्रसार के लिए मुझे पैसे मिलते हैं, स्‍वदेशी पैसे लेकिन तुम कामरेड तो विदेशी जूठन पर पलने वाले लोग हो। सही कहा न मैंने।

Samar Anarya और संघ की बदहाली राजनीतिक विश्लेषकों से पूछने की जरूरत नहीं है भाई. अभी अभी ५ राज्यों के चुनावों में १००० से ज्यादा सीटों में भाजपा को मिलीं बस ५ से पता ही चल जाता है.. साफ़ साफ़.. हाँ तुम जैसे आँख के अंधे नाम नयन्सुखों को कहाँ समझ aayega?

Sanjeev Kumar Sinha मुगालते में जीते रहो। जैसे कम्‍युनिस्‍ट पार्टी ने तो पूरे देश को लाल कर दिया। शर्म नहीं आती है भाजपा के बारे में कहते हुए। ऊपर मैंने कह ही दिया है, मध्‍यप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात आदि प्रदेशों में कोई है कम्‍युनिज्‍म का नामलेवा। इन राज्‍यों में राष्‍ट्रवादी पताका लहरा रहा है वहीं लाल झंडा...........चर्रर्रर्रर्रर्र।

Samar Anarya अभद्रता की शुरुआत करने वाले सबसे ज्यादा रूदाली गाते हैं, सो मुझे कोई आश्चर्य नहीं हो रहा मित्र.. तुमने बात ही 'प्राणी' 'लालू', 'पढ़ा लिखा है की नहीं' से शुरू की थी, और मैंने उसी भाषा में जवाब दिया तो अब बिलबिला रहे हो? आदमी हो की ऊदबिलाव मित्र?

Sanjeev Kumar Sinha 'प्राणी' और 'लालू' कह देने पर काहे खंभा नोच रहे हो, खिसियानी बिल्‍ली की तरह। प्राणी क्‍या होता है, यह तुमको नहीं मालूम? किस विद्यालय में पढ़े हो मित्र, किताबों में यह नहीं पढ़ा था कि 'मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है'। और 'लाल सलाम' का नारा तुम लगाते हो। 'लाल पैजामा' तुम पहनते हो और 'लाल झोला' लेकर तुम चलते हो। और फिर तुमने स्‍वीकार भी किया था, 'समर नाम के इस प्राणी की आँखों पर खांटी लाल चश्मा चढ़ा है'..तो भई, 'लालू' हुए कि नहीं।

Samar Anarya और उद्धृत तो में जो मन में आएगा वही करेंगे.. तुलसी याद आए तो वह, और मनुस्मृति को गरियाना हुआ तो उसे.. पेटेंट करवा लो अगर रोकना चाहते हो..(वैसे पिछली कोशिश तो सर के बल उलट गयी थी तुम जैसों की पर एक बार और कोशिश करने से क्या जाता है मित्र.. फिर समझ में आ जायेगा की संघ बढ़ते बढ़ते अरब सागर में डूब गया है की नहीं) समझे ब्रह्मा और सरस्वती के putr?

Sanjeev Kumar Sinha मनुस्‍मृति को गरिया रहे हो तो बात समझ में आती है। जैसे कामरेड रामायण और गीता को गरियाते हैं लेकिन तुम तो बाबा तुलसी के विचार का अपने पक्ष में प्रयोग कर रहे हो, ये दोमुंहापन कैसे चलेगा ?

Sanjeev Kumar Sinha और हां, हमें गर्व है कि हम ब्रह्मा और सरस्‍वती के पुत्र हैं। क्‍या तुम्‍हें भी रक्‍तपिपासु माओ और स्‍टालिन का बेटा होने पर गर्व है ?

Samar Anarya मुंशी जी -- मनुस्मृति हमारे चाचा नहीं बनाए थे.. आपके पुरखे बनाए थे.. ब्रह्मा और सरस्वती के मानस पुत्र मनु महाराज.. और अभी भी नहीं बताये की तुलसी पर पेटेंट करवा लिए हो क्या? हमारा तो जो मन आएगा उद्धृत करेंगे..

राम राज में जी रहे हो का मुंशी जी की शम्बूक को वेद पाठ नहीं करने दोगे? (वैसे मनुस्मृति के मुताबिक़ खुद कहाँ खड़े हो मुंशी जी यह भी बता ही देते-- और फिर से हमने नहीं लिखी वह, जिनके दलाल बने फिरते हो उन्होंने ही लिखी hai)

Sanjeev Kumar Sinha फिर तुमने बचकानी बात कर दी। इतना पूअर साबित होगे सामान्‍य ज्ञान में इसका मुझे अंदाजा नहीं था। मनु महाराज ब्राह्मण नहीं, क्षत्रिय थे, समझे डियर। अभी जाके कुछ पढ़ो लिखो।

Samar Anarya और हाँ, राष्ट्रवादी विचार के लिए तुम्हे पैसे मिलते होंगे.. अभी विचार बेचो-- तुम्हारे नेताओं ने तो राष्ट्र ही बेचा हुआ है.. अमेरिका के तलवे चाट के.. आडवानी का पैजामा उतरवा लिया था अमेरिकी हवाई अड्डे पर याद है न??

Sanjeev Kumar Sinha हमारे नेताओं ने राष्‍ट्र बेच दिया, वाह क्‍या बात कही है। पहले ये बताओ कि तुम कॉमरेड भारत को एक राष्‍ट्र मानते भी हो। इतनी बड़ी सैद्धांतिक भूल। करात तो डांट पिलाएगा तुमको, समझे।

Samar Anarya और तुम्हे ब्रह्मा और सरस्वती का पुत्र होने पर गर्व है? बहुत बढ़िया भाई.. पर फिर यह भी बता देते की ब्रह्मा का कोई मंदिर क्यों नहीं है? उनकी पूजा क्यों नहीं hotee?

Sanjeev Kumar Sinha ओह, फिर गलती। इस लड़के को कोई जानकारी नहीं है। मैंने ठीक ही पंकज से पूछा था कि ऐसी बात करता है कि लगता नहीं है यह पढ़ा लिखा है। नहीं तो यह थोड़े कहता कि 'ब्रह्मा का कोई मंदिर क्यों नहीं है?' ऐसा करो, एक दिन के लिए नास्तिक से आस्तिक बन जाओ और एक बार पुष्‍कर स्थित ब्रह्मा मंदिर जाकर अन्‍य हिंदुओं की तरह धूप अगरबती दिखा आओ। समझे।

Samar Anarya और खिसियानी बिल्ली के साथ साथ अंगूर खट्टे हैं मार्का लोमड़ी सिन्हा-- वाम तो सदैव प्रतिपक्ष रहा है.. अब भी है.. तुम तो देश को भगवा बनाने निकले थे.. ६ साल शीर्ष पर भी रह आये.. उसके बाद क्या हुआ? हवा निकल गयी?

खाकी निक्कर खाकी निक्कर खाकी निक्कर चरर्र टाइप-?

Sanjeev Kumar Sinha फिर गलती। हर बात गलत। तुम सदैव प्रतिपक्ष में रहे। झूठ बोलते हो। केरल, बंगाल, त्रिपुरा में तुम्‍हारे आकाओं ने सत्ता की मलाई नहीं चाटी? केन्‍द्र की बात करते हो तो वह तो तुम्‍हारे लिए सपना ही रहेगा जबकि स्‍वयंसेवक प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी लालकिला के प्राचीर से राष्‍ट्रध्‍वज फहरा चुके हैं और एक बात पता है उस दिन कई कॉमरेडों ने खुदकुशी कर ली थी।

Samar Anarya गजबे चम्पक हो मुंशी जी..मैंने मनु महाराज की जाती का कब जिक्र किया.. तुम्हारे पुरखे हैं, ब्रह्मा और सरस्वती(रिश्ते में गड़बड़ हो जायेगी मुंशी जी) के मानस पुत्र.. जहाँ फंसते हो वहां दुम दबा के कहीं नई जगह खुजलाना क्यों शुरू कर देते हो भाई? कोई बीमारी है क्या? ईलाज क्यों नहीं कराते? बाबा रामदेव से ही करा लो चाहे(पश्चिमी विज्ञान पर भरोसा होगा नहीं तुम्हारा)

Sanjeev Kumar Sinha पहले तुमने कहा, '..मुंशी ही ठहरे ना बाभनों के दलाल तुम..' फिर उसके बाद कहा, '..हमने नहीं लिखी वह(मनु‍स्‍मृति), जिनके दलाल बने फिरते हो उन्होंने ही लिखी hai)' इसका साफ-साफ मतलब हुआ कि मनु, जो बाभन है, उन्‍होंने मनुस्‍मृति लिखी। पतली गली से तुमको निकलने नहीं देंगे, बस मनुवादी...मनुवादी...चिल्‍लाते रहते हो। पता तो है नहीं कि कौन क्‍या है? दिमाग में गोबर ठूस रखे हो तो तुम्‍हें पता कैसे चलेगा?

Samar Anarya और मुंशी जी तुम्हारे नेताओं ने देश ही नहीं बेचा, खुद को भी बेच दिया था.. टालबोट की किताब भूल गए? किसकी किसकी पैंट/पैजामे उतारे हैं अमेरिकियों ने अपने हवाई अड्डों पर. तुम्हारे महँ नेता जसवंत सिंह, आडवानी और जार्ज फर्नान्दिज़ तक के..

Samar Anarya और फिर कारगिल के शहीदों का ताबूत तक तो बेच डाला तुमने/तुम्हारे नेताओं ने मुंशी जी उर्फ़ भग्गू प्रसाद.. (भगवा से निकला है) और फिर उसके बाद उनके परिजनों को मिलने वाले पेट्रोल पम्प तक..

Sanjeev Kumar Sinha दुनिया जानती है कि भाजपा के नेतृत्‍व वाली एनडीए शासन पाक साफ थी जबकि वामपंथ समर्थित यूपीए सरकार ने किस तरह घोटालों के सारे रिकॉर्ड ध्‍वस्‍त कर डाले।

Sanjeev Kumar Sinha ताबूत घोटाले में जॉर्ज फर्नांडिस को सीबीआई ने क्लिनचिट दे दी थी और पेट्रोल पंप मामले में अनियमितता की शिकायत पर तत्‍कालीन प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी ने सारे अलॉटमेंट रद्द कर दिए थे, ऊपर कई बार बता चुके, लेकिन तुम हो थेथ्‍थर तो समझोगे कैसे? पर तुम्‍हारे आकाओं ने तो करोड़ों रूपए के वक्‍फ घोटाले को अंजाम दिया, जिसमें लगभग १६०० करोड़ रुपए की संपत्ति का हेरफेर था। और पीएल एकाउंट घोटाला कर लगभग आठ सौ करोड़ रूपए खा गए।

Samar Anarya और पुष्कर? बस एक मंदिर? बाकी कहीं ब्रह्मा की मूर्ति नहीं है मंदिर नहीं है इसके पीछे क्या कहानी है मुंशी जी? गजबे चम्पक हो यार.. बता भी दो? की अपनी वंश परंपरा पर शर्म आ रही है?

Sanjeev Kumar Sinha पहले तो तुमने कहा कि '.. यह भी बता देते की ब्रह्मा का कोई मंदिर क्यों नहीं है?' और जब सरेआम तुम्‍हारी अज्ञानता पकड़ी गई तो घिघियाने लगे, '....और पुष्कर? बस एक मंदिर? बाकी कहीं ब्रह्मा की मूर्ति नहीं है मंदिर नहीं है इसके पीछे क्या कहानी है मुंशी जी?'' गलती पर गलती पर शर्म तुमको नहीं आती।

Samar Anarya और एक आध राज्य में जो कम्युनिस्ट थे भी/हैं भी (कितने कम्युनिस्ट हैं वह यह छोडो--- अब भौंकना मत शुरू कर देना-- उनसे हमारा उतना ही अच्छा/खराब रिश्ता है जितना तुम्हारा शिवसेना से!) उससे प्रतिपक्ष ही बनता है सत्ता पक्ष नहीं.. और वो जहाँ हारे भीं हैं वहाँ तो तुम्हारा खाता तक नहीं खुला है.. कांग्रेस जीती है वहां.. (कहीं तुम भाजपा के अन्दर कांग्रेस के दलाल तो नहीं, सच सच बता दो? तुम्हारी बातों से तो ऐसा ही लग रहा है)

Sanjeev Kumar Sinha दो राज्‍यों की दुहाई कब तक देते रहोगे। भारत दो राज्‍यों से नहीं है मित्र। अपने दम पर भाजपा सात राज्‍यों में और दो राज्‍यों में उसकी गठबंधन की सरकारें हैं। यह देखकर तुम्‍हारे छाती पर सांप लोट रहा होगा। वामपंथ है कहां, जनता ने बंगाल की खाड़ी में वामपंथ को दहा दिया है। भारत की माटी में वामपंथ दफन हो रहा है।

Samar Anarya अच्छा मुंशी जी एक बात बताओ? तुम्हारी मनुस्मृति के मुताबिक़ तुम्हे शाश्त्रों को पढने का भी अधिकार है की नहीं(उन्हें उद्धृत करना तो छोडो ही).. और अगर नहीं तो काहे मनुवादियों के इतने घटिया वकील बनने की कोशिश कर रहे हो? नया मुल्ला प्याज ज्यादा खता है जैसा तो कुछ नहीं है na?

Samar Anarya बाबा.. गजबे चम्पू हो तुम भग्गू प्रसाद.. राम के गुण गाती फिरती है तुम्हारी पार्टी.. उन्ही के मंदिर के नाम पर सत्ता में आई थी एक बार गलती से (दो कर दो चाहो तो).. अब राम भी तो बाभन नहीं थे..??

Sanjeev Kumar Sinha श्रीराम राष्‍ट्रीय नायक हैं। राष्‍ट्रवादियों के आराध्‍य हैं। इसलिए राम के गुण गाते फिरना हमारा धर्म है। मुझे मालूम है तुमलोग रावण के गुण गाते हो। बार बार बाभन, क्षत्रिय का उल्‍लेख करके तुमने साबित कर दिया है कि तुम घोर जातिवादी हो, जाति के नाम पर आग लगाकर लोगों को झुलसाना कब बंद करोगे।

Samar Anarya और, ब्रह्मा का एक मंदिर है यह बहस मोहल्ला पे सदियों पहले कर चुके हम तुम्हारे जारज भाई कालेश्वर प्रसाद से.. बाकी उनकी पूजा काहे नहीं होती? एक ही मंदिर क्यों है इस पर भी प्रकाश डालोगे मुंशी जी? और इस पर भी की अपने पुरखे मनु के मुताबिक़ तुम धर्म ग्रंथों को उद्धृत करने के अधिकारी भी हो के नहीं जो हमें तुलसी को उद्धृत करने से मन कर रहे हो??

Sanjeev Kumar Sinha प्रत्‍यक्षं किं प्रमाणम्। तुमने खुलेआम कहा है 'ब्रह्मा का कोई मंदिर क्यों नहीं है?' इधर उधर की बात मत करो। सबके सामने तुम्‍हारी पोल खुल गई। अब तो मुंह छिपाने लायक भी नहीं रहे। और हां, पुष्‍कर जाकर ब्रह्मा जी के दर्शन अवश्‍य कर आना।

Samar Anarya और में चम्पक.. बोफोर्स में सीबीआई ने राजीव गांधी परिवार को भी क्लीन चित दे दी थी तो? सीबीआई और करती क्या है? बाकी आवंटन रद्द किये या नहीं तुम्हारे जारज नेता बाजपेयी की सरकार में कारगिल के शहीदों का अपमान करके पेट्रोल पम्प बेचे गए या नहीं में???

Sanjeev Kumar Sinha कॉमरेडों की बात करो, कांग्रेस के बारे में तुमसे तब बात करेंगे जब तुम भेडि़ए की खाल से बाहर आकर कहोगे कि तुम कांग्रेसी हो। अभी तक तो तुम लाल चश्‍माधारी ही हो।

Samar Anarya तुम लोग क्या समझोगे पर? उसी पार्टी के हो न जिसके नेता प्रमोद महाजन की हत्या उसके भाई ने की, और क्यों? और जिसकी अस्थियाँ लेकर उसका बेटा कोकीन पीकर मरते मरते बचा??

Sanjeev Kumar Sinha प्रमोद महाजन को तो उनके भाई ने गोली मारकर हत्‍या कर दी। लेकिन तुम्‍हारे कॉमरेडों ने तापसी मलिक की कैसे हत्‍या की, यह बताते हुए भी मुझे घृणा होती है। जानते हो सिंगूर की जमीन जबरन अधिग्रहीत करने के विरोध में उस इलाके में जो लोग आंदोलनरत थे, उनमें एक प्रमुख नाम तापसी मालिक का भी था। उसने अनशन भी किया था। दिन भर भूखे रहने के बाद रात को खाना खाया और सो गई, किन्तु सूर्योदय नहीं देख पाई। तापसी जब तड़के नित्य कर्म करने मैदान गई, तो उसके साथ कॉमरेडों ने सामूहिक बलात्कार किया। उसकी योनी में रॉड घुसाकर उसे क्षत विक्षत कर दिया। और उसके बाद उसके शरीर पर कैरोसिन तेल छिड़ककर उसे जला कर मार डाला।

कहना न होना कि ये कम्युनिस्ट फासिस्ट हो गए हैं। जब कम्युनिस्ट फासिस्ट होते है, तो उनका फासिज्म देखकर पुराने जमाने के फासिस्ट भी लजा जाते हैं।

Samar Anarya हाँ मुंशी जी.. बता नहीं रहे हो अब तक? मनुस्मृति के मुताबिक़ तुम्हे धर्मग्रन्थ पढने का भी हक़ है की नहीं, उद्धृत करना तो छोड़ ही दो तुम भग्गू प्रसाद? की ऐसे ही मुझे तुलसी को उद्धृत करने से मना कर रहे थे??

Sanjeev Kumar Sinha हम तो मनुस्‍मृति भी पढ़ते हैं, रामायण और गीता भी। जो बातें अच्‍छी लगती है उससे सीख लेते हैं। तुम्‍हारी तरह नकारात्‍मक चीजों को लेकर ढोल नहीं बजाते। जाहिर सी बात है जब दिमाग में ही कचड़ा भरा पड़ा हो, तो वो गलत बातों पर ही तुम्‍हारी दृष्टि जाएगी।